परम श्रद्धेय स्वामी गौतमानंद जी महाराज, स्वामी जीतकामानंद जी महाराज, स्वामी निर्भयानंद सरस्वतीजी, स्वामी विरेशानंद जी सरस्वतीमहाराज, स्वामी परमानंद जी महाराज, देश के कोने-कोने से उपस्थित ऋषि-मुनि-संतगणऔरहजारों की संख्या में उपस्थित मेरे नौजवान साथी।
शतायुषि परमपूज्य सिद्दगंगा महास्वामी जी
यवरगे प्रणाम गळु
तुमकूरु रामकृष्ण आश्रमइप्पत ऐदू वर्ष
स्वामी विवेकानंद शिकागो संदेशानूरा इप्पत ऐदू वर्ष
भगीनी निवेदितानूराएवतने जन्म वर्ष
निम्म युवा समावेशा – त्रिवेणी संगमा
श्री रामकृष्णा, श्री शारदा माते
स्वामी विवेकानंदर संदेश वाहकराद नन्नु प्रीतय सोदर सोदरियेरगी प्रीतिया शुभाषयगळू
तुमकूरूका ये स्टेडियम इस समय हजारों विवेकानंद, हजारों भगिनी निवेदिता की ऊर्जा से दमक रहा है। हर तरफ केसरिया रंग इस ऊर्जा को और बढ़ा रहा है। आपकी इस ऊर्जा का आशीर्वाद मैं भी प्रत्यक्ष आकरके प्राप्त करना चाहता था, इसलिए जब तीन दिन पूर्व स्वामी विरेशानंद जी सरस्वतीजी का पत्र आया, तो मैं आपकेबीच आने के लिए सहर्षलालायति था, लेकिन समय समय की कुछ मर्यादाएं रहती हैं। और आप जानते हैं कल से संसद का सत्र भी प्रारंभ हो रहा है, और इसलिए मेरे लिए यहां से निकलना थोड़ा मुश्किल था। साक्षात आपके बीच मैं नहीं आ पा रहा हूं। लेकिन आधुनिक विज्ञान, आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सबके बीच जुड़ने का मुझे सौभाग्य मिला है।
युवा पीढ़ी के साथ किसी भी तरह का संवाद हो, उनसे हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है,और इसलिए मैं यथासंभव प्रयास करता हूं कि युवाओं से ज्यादा से ज्यादा मिलूं, उनसे बात करूं, उनके अनुभव सुनूं। उनकी आशाएं, उनकी आकांक्षाएं जानकर, उनके मुताबिक कुछ कार्य कर सकूं, और इसके लिए मैं निरंतर प्रयास करता रहता हूं।
ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस विशाल युवा महोत्सव और साधु-भक्त सम्मेलन का शुभारंभ करने का आज अवसर मिला है। तीन साल पहले जब मैंपूज्य शिवकुमार स्वामी जी का आशीर्वाद लेने तुमकूरू आया था तो वहां के लोगों से और विशेषकर नौजवानों से जो स्नेह प्राप्त हुआ था, वो मैं कभी भूल नहीं सकता। भगवान वसवेश्वर और स्वामी विवेकानंद जी के आशीर्वाद से पूज्य शिवकुमार स्वामी जी राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में समर्पित हैं। अपना शरीर का पल-पल, क्षण-क्षण, यानि उन्होंने देश पर न्योच्छावर कर दिया है। मैं उनके बेहतर स्वास्थ्य और उनकी दीर्घायु के लिए हमेशा परमात्मा को प्रार्थना करता रहता हूं।
साथियों, ऐसा बहुत कम होता है, जब तीन महान अवसरों का उत्सव एक साथ मनाया जाए। लेकिन तुमकूरू में उत्सव की इस त्रिवेणी का भी अपना दिव्य संयोग बना है। तुमकूरू में रामकृष्ण आश्रम की स्थापना के 25 वर्ष, शिकागो में स्वामी विवेकानंद जी के संबोधन के 125 वर्ष और भगिनी निवेदिता जी के जन्म के 150 वर्ष पर हो रहा ये आयोजन अपने आप में बहुत विशेष हैं,मैं ऐसा अनुभव करता हूं। इन तीन अवसरों की त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए कर्नाटक के हजारों नौजवानों का यहां युवा महोत्सव में एकत्रित होना, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा achievement है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस महोत्सव के लिए, पूज्य स्वामीजी को, रामकृष्ण मिशन को, हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं, और वरिष्ठों को प्रणाम करता हूं।
आज के तीनों आयोजनों के केंद्र बिंदु स्वामी विवेकानंद हैं। और हम भलीभांति जानते हैं कि कर्नाटक पर तो स्वामी विवेकानंद जी का विशेष स्नेह रहा है। अमेरिका जाने से पहले, कन्याकुमारी जाने से पहले वो कर्नाटक में कुछ दिन रुके थे। और स्वामी विवेकानंद जी ने हमारे आध्यात्मिक विस्तार को समय की आवश्यकताओं के साथ जोड़ा था। उन्होंने हमारे गौरवमयी इतिहास को हमारे वर्तमान के साथ जोड़ा था। मुझे बहुत खुशी है कि आज का ये कार्यक्रम साधु-भक्त सम्मेलन के तौर पर हमारे आध्यात्मिक विस्तार और युवा महोत्सव के तौर पर हमारे वर्तमान के साथ एकजुट हो करके, कंधे से कंधा मिला करके, रेल की पटरी की तरह आज देश को आगे बढ़ाने के लिए सोच रहा है।
देशभर से संत-समाज भी जुटा है और नौजवान भी। और यहां तीर्थों की बात हो रही है, तो technology की भी चर्चा है।यहां, ईश्वर की भी बात हो रही है और नए Innovations की भी चर्चा है।कर्नाटक मेंSpiritual Festival और Youth Festival का एक मॉडल विकसित हो रहा है।मुझे आशा है कि ये आयोजन देशभर में दूसरों को प्रेरणा देगा, भविष्य की तैयारियों के लिए हमारी ऐतिहासिक परम्पराओं और वर्तमान युवा शक्ति का ये समागम अद्भुत है।
अगर हम अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन पर ध्यान दें, उन्नीसवी और बीसवी शताब्दी के उस कालखंड पर गौर करें, तो पाएंगे कि उस समय भी अलग-अलग स्तर पर एक संयुक्त संकल्प देखने को मिला था। ये संयुक्त संकल्प था देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए। तब संत हो या भक्त हो, आस्तिक हो या नास्तिक हो, गुरू हो या शिष्य हो, श्रमिक हो या प्रोफेशनल हो; समाज के सभी अंग एक ही संकल्प से जुड़े, इसी संकल्प से जुड़ गए थे।
उस समय हमारा संत समाज ये स्पष्ट देख रहा था कि अलग-अलग जातियों में बंटा हुआ समाज, अलग-अलग वर्ग में विभाजित समाज अंग्रेजों का मुकाबला नहीं कर सकता। इसी कमजोरी को दूर करने के लिए उस दौरान देश में अलग-अलग हिस्सों में भक्ति आंदोलन चले, सामाजिक आंदोलन चले। इन आंदोलनों के माध्यम से देश को एकजुट किया गया, देश को उसकी आंतरिक बुराइयों से मुक्त करने का एक अभियान चलाया गया। इन आंदोलनों की कमान संभालने वालों ने देश के सामान्य जन को एकसमान, सबको बराबरी का बना दिया, हरेक को समान सम्मान दिया। उन्होंने देश की आवश्यकता को समझते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा को राष्ट्र निर्माण की यात्रा के अंदर निहित कर दिया, जोड़ दिया, समर्पित कर दिया। जनसेवा को ही उन्होंने प्रभु सेवा का माध्यम बनाया।
साथियों, लगभग यही वो दौर था जब अलग-अलग क्षेत्रों से बड़ी संख्या मेंstudents और Professionals स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, वकील हो, शिक्षक हो, वैज्ञानिक हो, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो। इन प्रोफेशनल्स ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी और स्वतंत्रता के बाद भी राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत की।
ये दो प्रयास जब एक साथ चले तो देश बौद्धिक और सामाजिक रूप से उठ खड़ा हुआऔर भारत के एकजुट लोगों ने अंग्रेजों को खदेड़ करके ही दम लिया, स्वतंत्रता के संयुक्त संकल्प को सिद्ध करके दिखाया।
स्वतंत्रता के अनेक दशकों के बाद अब देश में एक बार फिर वैसी ही संकल्प शक्ति उजागर हो, वैसी ही संकल्प शक्ति नजर आए, और नजर आ रही है। और उस संकल्प शक्ति के कभी-कभी दर्शन भी होते हैं। अभी-अभी आपने देखा, कल ही नॉर्थ-ईसट में हमने देखा और आपने देखा कि परसों पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ था। लेकिन कल नॉर्थ-ईस्ट के चुनावों के नतीजों ने फिर एक बार पूरे देश में एक उत्सव का वातावरण पैदा किया है।
आपको लगता होगा कि मैं इस कार्यक्रम में इस बात का उल्लेख क्यों कर रहा हूं? मुझे लगता है कि आपके बीच में मेरे मन के भाव मुझे जरूर कहने चाहिए। देखिए नॉर्थ-ईस्ट में कल जो चुनाव हुआ है और जो नतीजे आए हैं; मैं इसे कौन जीता, कौन हारा, किस पार्टी की जीत थी, एक पार्टी की हार थी या दूसरी पार्टी की जीत थी; मैं इसे राजनीतिक दलों के जय-पराजय के तराजू से नहीं देखता।
महत्वपूर्ण ये है कि नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की खुशी में पूरा देश शामिल हुआ है। ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं कि नॉर्थ-ईस्ट की कोई सिद्धि देश की सिद्धि बन जाए। और आज- कल जब हमने देखा कि पूरा देश नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के सपनों के अनुरूप, उनकी भावनाओं के अनुरूप सुबह से टीवी के सामने बैठ गया है। जैसे वो खुद ही वहां चुनाव के जंग में हों, वैसा हर हिन्दुस्तानी अनुभव करने लगा।
मैं समझता हूं कि मेरे उत्तर-पूर्व के भाइयों, बहनों के लिए, और उन्होंने जो जनादेश दिया है, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा बदलाव है। रामकृष्ण मिशन हो, विवेकानंद केंद्र हो, हजारों कार्यकर्ता, जीवन समर्पित करने वाले नौजवान, साधु-संत नॉर्थ-ईस्ट के जनकल्याण के कार्यों में लगे हैं, और इसके कारण यहां जो बैठे हुए हैं, आप लोगों को वहां की Ground reality क्या है, आप लोगों को भली-भांति पता है। और इसलिए मैं कहता हूं कि नॉर्थ-ईस्ट के चुनावों के नतीजे के बाद देश ने जो मिजाज दिखाया है, वो हर नॉर्थ-ईस्ट के व्यक्ति के दिल में पूरा भारत उनकी भावनाओं के साथ जुड़ा है, उसका एक ताकतवर संदेश दिया है। देश की एकता के लिए, एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए, ये भावनाओं की ताकत बहुत बड़ी होती है।
साथियो, पहले हमारे यहां नीतियां और निर्णय ऐसे हुए कि उत्तर-पूर्व कि लोगों में alienation की भावना घर कर गई। लोग विकास की नहीं, विश्वास और अपनत्व की मुख्य धारा से भी खुद को कटा हुआ महसूस करने लगे। कितनी समस्याओं की वजह ये भावना भी थी। पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार की नीतियां, निर्णयों ने इस खाई को भरने का प्रयास किया, इस अलगाव के भाव को भरने का प्रयास किया। हमने नॉर्थ-ईस्ट के भावनात्मक integration का संकल्प लिया। और इसे सिद्ध करके दिखाया है।
मैं आपको त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में जो नतीजे आए हैं, ये भी मुझे एक बहुत बड़ा संतोष देते हैं और मैं उसका जरा आपको विशेष रूप से बताना चाहता हूं। साथियो, त्रिपुरा के इतने छोटे से राज्य में 20 विधानसभा की सीटें हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में हैं। और हमारे यहां एक भ्रम फैलाया जाता है कि जहां आदिवासी हैं, वहां माओवाद है, वहां naxalism है, left wing extremism है, बहुत बातें होती हैं। और ये भ्रम फैला करके उनको भी अलग-थलग करने का एक लगातार प्रयास हो रहा है। ताकि देश को तोड़ने की कोशिश करने वालों को वहां अच्छी जमीन तैयार हो जाए। लेकिन कल त्रिपुरा के नतीजों ने एक अलग मिसाल कायम की है। उत्तर-पूर्व में आदिवासी भाई-बहनों ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान करके नफरत की राजनीति को नकार दिया है।
साथियो, radicalization जवाब integration से ही दिया जा सकता है। देश का कोई भी विभाग, कोई भी वर्ग खुद को मुख्य धारा से कटा हुआ महसूस न करे, इसके लिए हमारी सरकार द्वारा संकल्पबद्ध होकर लगातार प्रयास किया जा रहा है लेकिन सारे देश ने भी एकता के मंत्र को प्रतिपल ताकतवर बनाना ही होता है।संकल्पशक्तिकायेप्रवाहइससमयकर्नाटककेस्टेडियममेंभीमहसूसकियाजासकताहै।जोश्रध्येयगणमंचपरहैं, वोइसेऔरज़्यादामहसूसकररहेहोंगे।
साथियों, राष्ट्र निर्माण को समर्पित इस संकल्प को स्वामी विवेकानंद जी के एक संदेश से और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। स्वामीजी ने कहा था-
“Life is short, but the soul is immortal and eternal, and one thing being certain, death, let us therefore take up a great idea and give up our whole life to it.”
जीवन बहुत छोटा है, जीवन अनिश्चित होता है, मृत्यु निश्चित है। और इसलिए हमें एक संकल्प तय करके उस पर अपना जीवन न्योछावर कर देना चाहिए।
आज हजारों युवाओं के बीच, मैं आप सभी से ये प्रश्न करना चाहता हूं कि ये एक संकल्प क्या होना चाहिए? कई बार में देखता हूं कि किसी युवा से अचानक पूछा जाए कि उसके जीवन का लक्ष्य क्या है? तो वो सीधा उत्तर नहीं दे पाता है। वो अपने purpose of life को लेकर ही confuse है। साथियो, हमारे जीवन में जब संकल्प और लक्ष्य स्पष्ट होंगे, तभी हम कुछ सिद्ध भी कर पाएंगे, देश को मानवता को कुछ दे पाएंगे।जब संकल्प भ्रमित होगा, confused होगा, तो लक्ष्य को प्राप्त करना भी संभव नहीं होगा। रेलवे प्लेटफार्म पर पहुंचने के बाद ढेर सारी गाड़िया खड़ी हैं, और पता ही नहीं कि किस ट्रेन में बैठना है तो न आप मंजिल पर पहुंच सकते हैं, न आप यात्रा का रास्ता तय कर सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद जी भी, उनका एक बहुत मशहूर कथन है, और वो कहते थे- “take up one idea. Make that one idea your life, think of it, dream of it, live on that idea, let the brain, muscles, nerve, every part of your body be full of that idea and just leave every other idea alone. This is the way to success.”
मेरा आज इस युवा महोत्सव में आए प्रत्येक युवा से आग्रह है कि अपने संकल्प को लेकर स्पष्ट रहें, उसे जीवन में क्या करना है, उसको ले करके हमेशा स्पष्ट रहना चाहिए।
भाइयों और बहनों, आज हमारा भारत पूरी दुनिया का सबसे नौजवान देश है। 65 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की आयु 35 वर्ष से कम है। युवा शक्ति की ये अपार ऊर्जा देश का भाग्य बदल सकती है, पूरे देश को ऊर्जावान बना सकती है। 2014 में सरकार बनने के बाद और इसलिए हमारी सरकार नेYouth Power को ध्यान में रखते हुए, इस ऊर्जा का राष्ट्र निर्माण में इस्तेमाल करने के लिए अनेक फैसले लिए और ये प्रकिया निरंतर जारी है।
आपको ध्यान होगा कि हम लोग सरकार में आए और आने के कुछ ही समय बाद ही देश के भविष्य के लिए देश के नौजवानों के Skill development के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय बना दिया गया। पहले भी Skill development होता था लेकिन सरकार में ये 40-50 मंत्रालयों में बिखरा पड़ा होता था, अलग-अलग होता था। हरेक की दिशा भी अलग होती थी। कभी-कभी तो हरेक की दिशा एक-दूसरे से टकराव करती थी। अब एक मंत्रालय देश भर में Skill development का काम देख रहा है। इस मंत्रालय की निगरानी में देश के हर जिले में Skill developmentcentre खोले जा रहे हैं। युवाओं को industry की जरूरत को देखते हुए short term और long term training दी जा रही है। युवा अपने दम पर अपना बिजनेस शुरू कर सकें, उन्हें बिना बैंक गारंटी कर्ज मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना चलाई जा रही है। मुद्रा योजना के तहत अब तक देश में करीब-करीब 11 करोड़ लोनदिए गए हैं।कर्नाटक के नौजवानों के भी एक करोड़ 14 लाख से ज्यादा लोन स्वीकृत किए गए हैं। इस योजना की वजह से ही देश को लगभग तीन करोड़ नए उद्यमी भी मिले हैं। मेरे नौजवानों ये बहुत बड़ी महत्व की बात है कि इतने कम समय में तीन करोड़ नए उद्यमी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं।
Skill Development और Self Employmentको बढ़ावा देने के साथ ही हमारी सरकार ने नौजवानों केproductsके लिए बाजार बनाने काभी काम किया है।सरकार ने नीतिगत परिवर्तन किया ताकि सरकार की सरकारी खरीद में स्थानीय उत्पादों को ही प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा एक और व्यवस्था विकसित की गई है GEM यानिGovernment e Market.Government -Market के नाम सेइस online platform के माध्यम से अब कोई भी नौजवान, कोई भी महिला, कोई भी गांव का व्यक्ति अपनी कंपनी के या अपने घर में भी बनाए हुए Product हों,या वो कोईServices देना चाहता है, तो वो सरकार को अगर जरूरत है, तो सरकार को कोइ्र बिचौलियों की जरूरत नहीं, टेंडर की जरूरत नहीं, बड़ी-बड़ी कम्पनियों की जरूरत नहीं; सामान्य मानवी से वो चीजें खरीद सकती है। हम राज्य सरकारों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वो भी अपने राज्य मेंनौजवान उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए इस पोर्टल से जुड़ें। देश की 20 राज्य सरकारें इस अभियान में केंद्र सरकार के साथ आ चुकी हैं।
साथियों, हमारी सरकार के निरंतर प्रयास की वजह से ही देश में अब एक माहौल बना है जहां युवा आज की औद्योगिक जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग लेकर, अपने दम पर कुछ कर सकता है और अपने product को बाजार में बेच भी सकता है। ये माहौल कितना ज्यादा आवश्यक है, इसे कर्नाटक के नौजवान और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आप जैसे करोड़ों नौजवानों की आशाओं-आकांक्षाओं को समझते हुए ही सरकार स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रम भी चला रही है।
पहली बार हमारी सरकार ने रोजगार को Tax Incentive से जोड़ा है। जो कंपनियां नौजवानों को अपने यहां apprenticeship करा रही हैं, उन्हेंसरकार द्वारा टैक्स में छूट दी जा रही है। नौजवानों का जो Pprovident Fundकटता है, उसमें सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है। जिन युवाओं की कंपनियां 2 करोड़ रुपए तक के turnover, वहां तक सीमित हों और जिनमें डिजिटिल तरीके से ही पेमेंट किया जाता हो, उन्हें भी टैक्स के अंदर छूट दी जा रही है।
मैं मानता हूं कि हमारे देश के युवाओं में Sense of Mission की कोई कमी नहीं है। वो अपने ideas को, innovative solutions को इस तरह जमीन पर उतारना चाहते हैं कि चीजें और efficient हों और economical हों। इसलिए उसे जिस तरह प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है, वो करने का काम हमारी सरकार कर रही है।
साथियों, Innovation ही बेहतर भविष्य का आधार है।हमारी शिक्षा व्यवस्था में इस सोच के साथ हीInnovation को स्कूली संस्कृति का हिस्सा बनाने के लिए काम किया जा रहा है। स्कूलों में कम उम्र के बच्चों के Ideas को Innovation में बदलने के लिए सरकार ने Atal Innovation Missionकी शुरुआत की है–AIM. अब तक देशभर में दो हजार चार सौ से ज्यादा Atal Tinkering Labs को स्वीकृति दी जा चुकी है।
केंद्र सरकार एक और बहुत ही बड़े मिशन पर काम कर रही है और वो है देश में 20 वर्ल्ड क्लास शिक्षा संस्थान बनाने का काम। देश में 20 Institutes of Eminenceबनाने का काम। इस मिशन के तहतपब्लिक सेक्टर के selected 10 संस्थानों को एक तय अवधि में कुल 10 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। ये Institutes of Eminenceआधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत को अपनी जगह फिर दिलाएंगे।
इस बजट में हमने RISE नाम से एक नई योजना भी शुरूआत की है। इसके तहत हमारी सरकार अगले चार साल में देश के education system को सुधारने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
बजट में सरकार द्वारा Prime Minister’s Research Fellowsस्कीम का भी ऐलान किया गया है।इसके तहत देश के एक हजार होनहार इंजीनियरिंग के जो छात्र हैं और होनहार हैं, उनको PhD programme के लिए पाँच साल तक 70 से 80 हजार रुपए महीने की आर्थिक मदद दी जाएगी।
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, हमारे HumanResource की शक्ति को ध्यान में रखते हुए, केंद्र द्वारा शुरू की गई अनेक योजनाओं का लाभ कर्नाटक के युवाओं को मिलना भी उतना ही आसान है, उतना ही संभव है। केंद्र सरकार द्वारा Innovation के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इसके लिए किए जा रहे कार्य पूरे कर्नाटक के युवाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहे हैं। खासतौर पर स्मार्ट सिटी मिशन से देशभर में कर्नाटक के प्रतिभाशाली युवाओं की पहुंच को आसान बनाया है, उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित किया है।
साथियों, भगिनी निवेदिता जी ने एक बार टिप्पणी की थी कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि भारतवर्ष के छात्र किसी दूसरे देश की कॉपी न करें, नकल न बनकर स्वयं में पूर्ण हों। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा था-
“Your education should be an education of the heart and the spirit, and of the spirit as much of the brain; it should be a living connection between yourselves and your past as well as the modern world!”
यानि अपने इतिहास, अपने वर्तमान और अपने भविष्य के बीच कनेक्ट बनाना बहुत आवश्यक है। अपनी परंपराओं से जितना ये कनेक्ट मजबूत होगा, उतना ही देश का युवा, खुद को मजबूत महसूस करेगा।
भाइयों और बहनों, अपनी परंपराओं को सम्मान की ये भावना केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई खेलो-इंडिया, खेलो-इंडिया योजना में भी दिखाई देती है। और मैं तो कहता हूं- जो खेले वही खिले। इसके लिए हमने नीति में एक बहुत बड़ा बदलाव किया है। sports में गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए सरकार सिर्फ वर्तमान कोच का ही नहीं, बल्कि हर उस गुरु का सम्मान करेगी जिसने खिलाड़ी को उँगली पकड़कर चलना सिखाया। अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने की स्थिति में अब पहले के गुरुओं को भी सम्मान राशि का कुछ हिस्सा दिया जाएगा।
परंपराओं से इसी जुड़ाव को ध्यान में रखते हुए खेलो इंडिया कार्यक्रम में कबड्डी और खो-खो जैसे स्वदेशी खेलों पर भी जोर दिया जा रहा है। इस योजना के तहत देश के कोने-कोने से Talent को पहचान कर सरकार उसे sports का आधुनिक platformदेने का प्रयास कर रही है। और सरकार ने तय किया है कि हर साल एक हजार युवा खिलाड़ियों को चुनकर, उन्हें Modern Sports Infrastructure के बीच प्रशिक्षण के लिए 5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता हर साल दी जाएगी।
साथियों, “विद्यार्थी देवो भव:”सिर्फ आपका ही नारा नहीं, हमारा भी मंत्र है। बल्कि मैं तो आपकी स्वीकृति से इसमें ये भी जोड़ना चाहूंगा- “युवा देवो भव: -युवाशक्ति देवो भव:”।
युवा को मैं दैवीय शक्ति के तुल्य इसलिए समझता हूं क्योंकि युवा को मैं परिस्थिति नहीं, आयु की एक अवस्था नहीं बल्कि एक मानसिक अवस्था मानता हूं, मानसिक स्थिति मानता हूं। युवा सिर्फ ये नहीं सोचता कि जो पहले अच्छा था, वही बेहतर था। युवा ये सोचता है कि पुराने से सीख लेकर वर्तमान और भविष्य को और बेहतर कैसे बनाया जाए। इसलिए वो देश को बदलने के लिए काम करता है, दुनिया को बदलने के लिए प्रयास करता है। युवा चाहता है कि भविष्य- वर्तमान और अतीत दोनों से ज्यादा बेहतर और मजबूत हो।
इसलिए मैं देश के नौजवानों की शक्ति को फिर से नमन करता हूं। एक भारत-श्रेष्ठ भारत- आपने शब्द सुने होंगे। सरदार वल्लभ भाई पटेल- देश को एक करने का भगीरथ काम किया। एक भारत को श्रेष्ठ भारत बनाना, ये हम लोगो की जिम्मेदारी है। और इसलिए मैं तो चाहूंगा यहां इतने नौजवान बैठे हैं- आप में से कई लोग होंगे जिनका मन करता होगा French language सीखें; आपमें से कई होंगे जिनका मन करता होगा Spanish language सीखें; अच्छी बात है। दुनिया की कोई भी भाषा सीखना अच्छी बात है। लेकिन क्या कभी हमारे मन में उठता है कि जो देश, इतना बड़ा देश, 100 भाषाएं, 1700 dialect; 10-12 भाषाएं हम भी तो सीखें, 5-50 वाक्य हमारे देश की भाषा के तो बोलना सीखें। दो-चार किसी और राज्य की भाषा के गीत गुनगुनाना सीखें। मैं समझता हूं देश को एक करने के लिए ये सामर्थ्य बहुत जरूरी है और ये हम एक सहज स्वभाव के रूप में विकसित कर सकते हैं। मैंने भी अभी टूटी-फूटी भाषा में कहो- लेकिन जैसे ही कन्नड़ में कुछ बातें कहीं, आपके दिल को छूने लगीं। आप उसमें ये नहीं देखते थे कि मोदीजी के pronunciation ठीक थे या नहीं, व्याकरण ठीक था कि नहीं, आपको यही लगता था कि हमारे साथ जुड़ने के लिए कितना अपनेपन से मेहनत कर रहा है। यही देश को एक करने की ताकत रखता है। यही देश को जोड़ता है।
संकल्प से सिद्धि की जिस यात्रा पर देश चल रहा है, न्यू इंडिया के जिस सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है, उसकी बड़ी जिम्मेदारी मेरे देश के युवाओं पर है। उन्हें भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ, मैं फिर एक बार नौजवानों को कहता हूं, हम स्वामी विवेकानंद जी को स्मरण रखें। हम भगिनी निवेदिता जी को स्मरण रखें। जन सेवा ही प्रभु सेवा- जीव में शिव को देखें, यही एक तत्वज्ञान हमारे देश के बदलाव में- चाहे वो स्वच्छ भारत हो, चाहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ हो, चाहे बुजुर्गों के लिए अरोग्य की सेवाओं का काम हो, किसानो को आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद पहुंचाने का काम हो- एक काम ले करके हम भी अपने-आप को जोड़ें। और मुझे विश्वास है कि आप सभी नौजवान इन संतों- महान संतों और तुमकूरू की पवित्र भूमि है जहां ऐसे वरिष्ठ संत बैठे हुए हैं; ऐसी भूमि से एक नई प्रेरणा ले करके आप चलेंगे।
आप सबको नरेंद्र मोदी एप्प, आप जुड़े हुए होंगे। और मुझे भी मन करता है मैं आपसे जुड़ूं। आप नरेंद्र मोदी एप्प से मेरे से जुड़िए। मुझसे बातें कीजिए, अपनी भावनाओं को मेरे तक पहुंचाइए। और मैं आज आपको बताता हूं- ये ठीक है कि मैं कन्नड़ भाषा बोल नहीं सकता, मुझे हिन्दी में बोलना पड़ा। लेकिन आपका मन करता होगा कि यही बातें कन्नड़ में देखनी हैं, सुननी हैं- तो मैं मेरी टीम को बताता हूं कि नरेंद्र मोदी एप्प पर अभी जो मैंने आपसे बातें की हैं, उसके जो मुख्य अंश हों, वो कन्नड़ भाषा में भी उस पर रख दें। ताकि आप कन्नड़ भाषा में, अपनी भाषा में मेरे इन भावों को पकड़ पाएं और इस बात को आगे बढ़ाएं।
मैं आज दस त्रिवेणी संगम के लिए, इस आयोजन केलिए, रामकृष्ण-विवेकानंद आश्रम को फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं और मैं सभी संतगण को यहां से प्रणाम करता हूं। शिवगिरी मठ को नमन करता हूं, और आप सब नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत- बहुत धन्यवाद !!!
अतुल तिवारी/ अभिनव प्रसून / निर्मल शर्मा
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